केंद्र ने UPSC की लेटरल एंट्री भर्ती को रोका, विपक्ष ने बताया ‘लोकतंत्र की जीत’
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UPSC लेटरल एंट्री पर लगी रोक
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की अध्यक्ष को एक पत्र लिखा। उन्होंने इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार UPSC लेटरल एंट्री के लिए जारी किए गए विज्ञापन को रद्द करने की मांग की। यह विज्ञापन UPSC द्वारा पिछले शनिवार को जारी किया गया था, जिसमें अनुबंध के आधार पर 45 पदों को भरने की योजना थी। इन पदों में 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल थे। लेटरल एंट्री योजना का उद्देश्य सरकारी विभागों में विशेषज्ञों की नियुक्ति करना है, जिनमें निजी क्षेत्र से भी लोग शामिल हो सकते हैं।
जितेंद्र सिंह के पत्र में क्या था?
Union Minister Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) writes to Chairman UPSC on canceling the Lateral Entry advertisement as per directions of PM Modi. pic.twitter.com/Qqbw0S1v7d
— Press Trust of India (@PTI_News) August 20, 2024
जितेंद्र सिंह के पत्र में उल्लेख किया गया कि 2014 से पहले अधिकांश बड़े लेटरल एंट्रीज को तदर्थ रूप में किया गया था, जिनमें कथित पक्षपात के मामले शामिल थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के प्रयास रहे हैं कि इस प्रक्रिया को संस्थागत रूप से संचालित, पारदर्शी और खुला बनाया जाए ताकि किसी भी प्रकार का पक्षपात न हो।
पत्र में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अटल विश्वास है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया को संविधान में निहित समता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ रखा जाना चाहिए। खासतौर पर, इसमें आरक्षण के प्रावधानों का ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह निर्णय राजनीतिक विवादों को शांत करने और सरकार की ओर से यह संदेश देने के उद्देश्य से लिया गया है कि वह समता और सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है।
खड़गे ने UPSC लेटरल एंट्री रोक को बताया लोकतंत्र की जीत
कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर अपने पोस्ट में लिखा, “संविधान जयते ! हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने भाजपा के आरक्षण छीनने के मंसूबों पर पानी फेरा है। लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताक़त ही हरा सकती है। श्री राहुल गांधी, कांग्रेस और INDIA पार्टियों की मुहिम से सरकार एक क़दम पीछे हटी है।”
चिराग पासवान ने भी जताया था UPSC लेटरल एंट्री का विरोध
फैसले को वापस लेने का निर्णय ऐसे समय में उठाया गया, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार को सरकारी पदों पर नियुक्तियों में आरक्षण के बिना किसी भी प्रकार की नियुक्ति पर चिंता व्यक्त की थी। इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद बढ़ गया था, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री को दलितों, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और आदिवासियों पर “हमला” करार दिया था।