राहुल गांधी ने जताई भारतीय स्टॉक मार्केट में गंभीर खतरे की आशंका
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राहुल गांधी ने जताई स्टॉक मार्केट को लेकर बड़ी चिंता
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में भारतीय स्टॉक मार्केट में एक गंभीर खतरे की चेतावनी दी है। उन्होंने दावा किया कि शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्थाएं अब समझौता कर चुकी हैं, जिसके कारण निवेशकों के लिए बड़े जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं। राहुल ने ये बातें एक वीडियो में कही हैं, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
राहुल गांधी ने दिया हिडनबर्ग रिपोर्ट का हवाला
राहुल गांधी ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए हिंडनबर्ग रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख, माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि माधबी पुरी बुच ने उन ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखी थी, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर अदानी समूह द्वारा अवैध शेयर स्वामित्व और मूल्य में हेरफेर के लिए किया गया था।
राहुल गांधी का कहना है कि ये आरोप न केवल सेबी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए भी एक गंभीर खतरा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वे विपक्ष के नेता के रूप में इस मामले को सार्वजनिक रूप से उजागर करें, ताकि आम निवेशक और देश की अर्थव्यवस्था को बचाया जा सके।
सरकार और सेबी की भूमिका पर सवाल
The integrity of SEBI, the securities regulator entrusted with safeguarding the wealth of small retail investors, has been gravely compromised by the allegations against its Chairperson.
Honest investors across the country have pressing questions for the government:
– Why… pic.twitter.com/vZlEl8Qb4b
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 11, 2024
राहुल गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि यदि सेबी जैसी महत्वपूर्ण संस्थाएं भी कथित भ्रष्टाचार और समझौते के दायरे में आ रही हैं, तो फिर आम निवेशक किस पर विश्वास करेंगे? उन्होंने सरकार से इस मामले में स्पष्टता लाने और सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे को समय रहते सुलझाया नहीं गया तो यह देश की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए एक बड़ी त्रासदी साबित हो सकता है। राहुल गांधी का मानना है कि इस प्रकार के मामलों में निष्पक्ष जांच और पारदर्शिता आवश्यक है, ताकि लोगों का विश्वास शेयर बाजार और सरकारी संस्थाओं पर बना रहे।